लेखनी कहानी -18-Nov-2022 प्रेम
प्रेम तेरे कितने रूप ?
कभी नीबू की शिकंजी
कभी हॉट एंड सॉर सूप ।।
पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो ।
कभी 35 टुकड़ों में फ्रिज में रखा
तो कभी तेजाब से पूरो नहायो ।।
ढाई आखर प्रेम का पढे सो पंडित होय ।
कभी मीरा की तरह जहर का प्याला पिया
कभी राधा की तरह विरह में रोय ।।
प्रेम का सारा जग दीवाना ।
आज नैन मिले दिल खिले शादी की
कल तलाक परसों फिर एक नया ठिकाना ।।
प्रेम की लगन कुछ ऐसी लागी ।
कभी माली को, कभी दूध वाले को
कभी नौकर को लेकर संग भागी ।।
श्री हरि
18.11.22
Gunjan Kamal
24-Nov-2022 09:13 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Ayshu
18-Nov-2022 04:25 PM
Nice
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Sachin dev
18-Nov-2022 04:22 PM
Nice 👌
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